दोस्तों भारत में तो ऐसे दो राजा हुए हैं जिनका नाम दुनिया के सबसे महान नायक में लिया जाता है लेकिन यह दोनों कभी एक दूसरे के करीब नहीं आए अगर यह दोनों एक साथ होते तो शायद आज दुनिया की तस्वीर कुछ और ही होती लेकिन यह हमेशा एक दूसरे के दुश्मन बन रहे The Life Story of Akbar” The Life Story of Maharana Pratap, Akbar aur Maharana Pratap warrior The Death of Maharana Pratap”
इन दोनों को ही बहुत महान माना जाता है कोई अकबर को महान कहता है तो कोई महाराणा प्रताप को आइये जानते है कि इन दोनों में से कौन सा ज्यादा महान थे
अकबर की जीवन कहानी” The Life Story of Akbar”
दोस्तों सबसे पहले बात करते हैं अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 ईस्वी में अमरकोट में हुआ अकबर का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए उनका नाम बदरुद्दीन मोहम्मद अकबर कहा गया था दोस्तों अकबर पहला मुगल था जो हिंदुस्तान में पैदा हुआ आपको बता दे अकबर हमेशा से हर धर्म के लोगों को महत्व देता था शायद उसकी वजह थी उसकी परवरिश जो कि ऐसे माहौल में हुई थी आपको बता दे की अकबर का जन्मदिन हुआ था अकबर का राज्याभिषेक 14 फरवरी 1556 ई को पंजाब के कलर में हुआ था आपको बता दे की बैरम खान 1556 से 1560 ई तक अकबर का संरक्षक रहा माना जाता है कि अकबर के विचार बहुत मानते और वह हर धर्म का सम्मान करता था अकबर का मानना था कि सभी धर्म एक साथ हो और उसने इसके लिए दिनेश इलाही की स्थापना विकी ऐसा कहा जाता है कि अकबर ने गैर मुसलमान को मुस्लिम नहीं थे उन लोगों को भी इस्लाम धर्म को अपनाने के लिए मजबूर नहीं किया था यहां तक की अकबर ने गैर मुसलमान पर लगने वाले जजिया कर को भी समाप्त कर दिया था अकबर जल्दी इस बात को समझ गया था कि हिंदुस्तान में अगर मुगलों को रहना है तो राजपूतो से दोस्ती करनी पड़ेगी अकबर ने अपने धर्म के अलावा कई धर्म की औरतों को मिलाकर 30 से भी ज्यादा शादी की थी लेकिन अकबर की सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली पत्नी एक हिंदू थी जिनका नाम जोधाबाई था यह एक हिंदू धर्म की राजपूत राजकुमारी थी यह अमर के राजा भारमल की बेटी थी राजा भारमल ने अकबर की अधीनता को स्वीकार करते हुए अपनी बेटी की शादी अकबर से करवा दी थी अकबर एक मात्र ऐसा राजा था जिसके दरबार में नौ गुनगनवान दरबारी है जिन्हें की नवरत्न के नाम से भी जाना जाता है उसमें राजा मानसिंह भी थे जो की जोधा बाई के भतीजे थे उसके साथ ही अकबर के दरबार में तानसेन बीरबल जैसे लोग भी थे जिनके कलाओं और उनके किस्से कहानियां है
लेकिन बाद में उन्होंने इस्लाम को अपना लिया था लेकिन मुगलों की रणनीति के मुताबिक वह भी हमेशा से अपने राज्य का विस्तार करना चाहता था और इसलिए उसने कई राजपूत योद्धाओं से युद्ध किया वहीं कुछ राजाओं अगर कुछ राजपूत राजाओं ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी और
महाराणा प्रताप की जीवन कहानी” The Life Story of Maharana Pratap
एक थे महाराणा प्रताप जिन्होंने कभी अकबर के आगे घुटने देखना मंजूर नहीं किया दोस्तों महाराणा प्रताप का जन्म 9 में 1540 ई को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था महाराणा प्रताप को बचपन में सभी की के नाम लेकर पुकारा करते थे आपको बता दे की महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक गुनगुना में हुआ था दरअसल महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह का अपनी एक रानी के साथ ज्यादा लगा था इसीलिए उन्होंने अपनी पसंदीदा रानी के बेटे के हकदार बड़े होने के कारण महाराणा प्रताप थे जबकि जनता भी हमेशा से ही महाराणा प्रताप को ही पसंद करती थी ऐसे में दोनों भाइयों के बीच बहुत हो गया था और दोस्तों यही मनमुटाव आगे जाकर ऐतिहासिक युद्ध हल्दी की पूजा बना था दरअसल 28 फरवरी 1972 को उदय सिंह की मृत्यु हो गई थी उसे समय राजवंशों में यह परंपरा थी राजा का सबसे बड़ा बेटा सुरक्षा कर्म से अपने पिता के अंतिम संस्कार में भागनहीं लेता था महाराणा प्रताप भी अपने पिता के अंतिम संस्कार में नहीं गए लेकिन उसे अंतिम संस्कार से उदय सिंह का एक और बेटा गया था और वह था भटियानी रानी का बेटा ग्वालियर के राम सिंह और महाराणा प्रताप के नाना महल में है और उनके अभिषेक की तैयारी चल रही है दोनों राजमहल पहुंचे और जगमाल को गद्दी से हटा दिया महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक कराया गया लेकिन तब तक जगमाल सिंह नाराज होकर बादशाह अकबर के पास चला गया और बादशाह ने उसको जहाजपुर का इलाका जागीर में प्रदान कर दी
अपने पक्ष में कर लिया वहीं उन दिनों अकबर में अपने शासन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए राजपूत क्षेत्र पर अपना कब्जा कायम करने की योजना बना रहा था अकबर उसे समय काफी शक्तिशाली शासक बनकर उभर रहा था जिस कारण राजस्थान में लगभग कई राज्यों मेंमुगल वंश को स्वीकार कर लिया था
इस दौरान अकबर लगभग कई सालों तक महाराणा प्रताप को मुगल वंश स्वीकार करने के लिए पत्र भेजता रहा लेकिन महाराणा प्रताप को मुगलों के सामने जुकना कभी मंजूर नहीं था अकबर ने कहा कि वह बाकी राजपूत राजाओं की तरह उनके गुलाम बनकर जागीरदार के रूप में उनके लिए काम करते रहे लेकिन महाराणा प्रताप को गुलामी पसंद नहीं थी और वह नहीं चाहते थे कि मेवाड़ किसी मुगल के हाथ लगी इससे उन्होंने अकबर के दूधों को साफ मना कर दिया
HARSHAD MEHTA’S SCAM 1992”…..https://news49.in/the-great-deception-harshad-mehtas-scam-1992/
“अकबर और महाराणा प्रताप: योद्धाओं की कहानी” Akbar aur Maharana Pratap warrior
जब आखिर तक भी जब महाराणा प्रताप नहीं माने और इस युद्ध को इतिहास के पन्नों पर अच्छी खासी जगह मिली क्योंकि यह युद्ध इतिहास के दो महान शासको के बीच था जो कभी एक दूसरे के साथ नहीं है लेकिन दोस्तों अगर यह दोनों एक साथ आते तो शायद हिंदुस्तान की तकदीर कुछ और ही हो सकती थी
आखिरकार महाराणा प्रताप से युद्ध करने की ढाणी इसलिए 18 जून 1576 को दोनों राजाओं की सेवा के बीच भयंकर युद्ध हुआ महाराणा प्रताप ने शक्तिशाली मुगल बादशाह अकबर की 85000 सैनिकों वाली बड़ी सेवा के सामने अपने 20000 सैनिक के साथ युद्ध किया था इतिहासकारों के मुताबिक उसे समय बहुत से राजपूत राजाओं ने महाराणा प्रताप का साथ देकर अकबर का साथ दिया क्योंकि अकबर के पास बहुत बड़ी और ताकतवर सी नदी भले ही इस युद्ध में प्रताप की सेवा बहुत कम थी उनका खूब साथ दिया था चेतन की ताकत का पता इस बात से लगाया जा सकता था कि उसके मुंह के आगे हाथी की सूद लगाई जाती थी जब मुग़ल सी महाराणा प्रताप के पीछे लगी थी तब चेतन प्रताप को अपनी पीठ के लिए 26 फीट से नाली को पार कर गया मुगल कभी पार नहीं कर सके कोई नतीजा नहीं निकला था महाराणा प्रताप की इस युद्ध के बाद महाराणा प्रताप बहुत बुरी तरह घायल हो गए थे
इतिहास कार आज इस बात का दवा नहीं कर पाते हैं इस युद्ध में विजेता कौन रहा था लेकिन ऐसा कहा जाता है कि अकबर इस युद्ध के बाद से बौखला गया था इतना कि उसने कुछ समय तक राजा मानसिंह की दरबार की एंट्री पर भी रोक लगा दी थी क्योंकि अकबर महाराणा प्रताप को झुकाना चाहता था कि महाराणा प्रताप उसके गुलामी को स्वीकार कर ले लेकिन महाराणा प्रताप ने अकबर की गुलामी को तकबीर स्वीकार नहीं किया और बस इसलिए ही इतिहास कार के मुताबिक इस युद्ध में जीत महाराणा प्रताप की हुई थी ना कि अकबर की वही युद्ध के लिए कहा जाता है कि प्रताप का हौसला जीत गया था अकबर से और अकबर की सीन जीत गई थी प्रताप से क्योंकि अकबर जो चाहता था वह कभी नहीं
हो पाया अपने अंतिम सांस तक अकबर की गुलामी मंजूर नहीं की थी अकबर की इतनी खुशियों के बावजूद भी महाराणा प्रताप कभी नहीं झुके और अपने आखिरी दिनों में भी वह अकबर के साथ युद्ध करने की योजना बनाते रहे और
महाराणा प्रताप मृत्यु “The Death of Maharana Pratap”
ऐसे में साल 1597 में 29 जनवरी को उनकी मृत्यु हो गई ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ज्यादा महान थे क्योंकि उन्होंने आखिर तक नहीं मानी थी और अकबर भी खुद उनकी महानता को मानता था और जब अकबर को उनके मरने की खबर मिली थी तो अकबर भी रो पड़ा था उसकी जिंदगी में महाराणा प्रताप इकलौते ऐसा सच थे जिनको झुकने के लिए अकबर ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था
लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी थी दोस्तों क्या लगता है आपको की अकबर और महाराणा प्रताप में से कौन ज्यादा महान था अपने विचार बताएं..
VIRAT KOHLI…..https://news49.in/virat-kohli-the-journey-of-success/
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