वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का उद्घाटन हाल ही में हुआ है, आ ई ट्रेन 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सके है। इसके लिए ‘मिशन रफ़्तार’ नाम की एक योजना शुरू की गई थी, जो पांच साल पहले शुरू हुई थी।
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन
देश की पहली स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन हाल ही में बेंगलुरु में पेश की गई है। यह ट्रेन बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं से लैस है और इसके ट्रायल (जांच) अब शुरू हो चुके हैं। ये ट्रायल दस दिन तक चलेंगे, जिसमें ट्रेन के सॉफ्टवेयर और अन्य तकनीकी चीजों की जांच की जाएगी।
इसके अलावा, 9 अगस्त को मुंबई से अहमदाबाद के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफल परीक्षण किया गया। इसके साथ ही, मुंबई से दिल्ली के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने की योजना का काम भी पूरा हो चुका है।
इन सभी घटनाओं से यह संकेत मिल रहा है कि देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस स्लीपर ट्रेन जल्द ही मुंबई से दिल्ली के बीच चल सकती है।
नई वंदे भारत एक्सप्रेस के अनावरण के दौरान रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह ट्रेन राजधानी जैसी ट्रेनों का एक विकल्प बनेगी। मौजूदा समय में, मुंबई से दिल्ली के बीच राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन करीब 16 घंटों में यात्रा करती है। लेकिन भविष्य में, वंदे भारत स्लीपर ट्रेन इस दूरी को महज 12 घंटों में पूरी करेगी।
मिशन रफ़्तार की शुरुआत
नई वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का उद्घाटन हाल ही में हुआ है, ट्रेन 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सके है। इसके लिए ‘मिशन रफ़्तार’ नाम की एक योजना शुरू की गई थी, जो पांच साल पहले शुरू हुई थी।
इस योजना का मकसद मुंबई से दिल्ली के बीच ट्रेन की रफ्तार को 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ाना था। इसके लिए 1,478 किलोमीटर रेल की पटरियों पर काम किया गया है और 8,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। अब तक इस योजना का ज्यादातर काम पूरा हो चुका है।
मुंबई से अहमदाबाद तक 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन का सफल ट्रायल हो चुका है। आगे भी ट्रेन को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने के लिए अलग-अलग हिस्सों में और परीक्षण किए जाएंगे।
इस तेज रफ्तार ट्रेन को चलाने के लिए रेल की पटरियों के दोनों किनारे पर सुरक्षा के लिए बाड़ (फेंसिंग) लगानी जरूरी है। पश्चिम रेलवे के अधिकार क्षेत्र में 50 प्रतिशत हिस्सा, यानी 792 किलोमीटर पर बाड़ का काम लगभग पूरा हो चुका है।
कवच सुरक्षित
ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा भी बहुत जरूरी है। इसी के लिए भारतीय रेलवे ‘कवच’ नाम की तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। कवच तकनीक का फायदा यह है कि जिन ट्रेनों में कवच लगा होता है, वे आपस में टकरा नहीं सकतीं। अगर दो ट्रेनें टकराने वाली होती हैं, तो कवच तकनीक की वजह से ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाते हैं और टकराव से बचा जा सकता है।
दिसंबर 2022 में पश्चिम रेलवे पर 735 किलोमीटर ट्रैक पर 90 इंजन में कवच लगाने के लिए 3 ठेके दिए गए थे, जिनका काम पूरा हो चुका है। पश्चिम रेलवे पर इस तकनीक का सफल परीक्षण हो चुका है। अब तक वड़ोदरा से अहमदाबाद के बीच 62 किलोमीटर, विरार से सूरत के बीच 40 किलोमीटर, और वड़ोदरा से रतलाम-नागदा के बीच 37 किलोमीटर पर ट्रायल हो चुका है।
टारगेट 160 किमी प्रति घंटा
भारतीय रेलवे की ट्रेनों की अभी औसत रफ्तार 70-80 किमी प्रति घंटा है। रेलवे चाहती है कि इसे 160 किमी प्रति घंटा तक बढ़ाया जाए। इसके लिए:
- पटरियों का सुधार: पटरियों के नीचे का बेस चौड़ा किया गया है, ताकि ट्रेन की तेज रफ्तार पर भी स्थिरता बनी रहे।
- पावर लाइन: पूरे रूट पर 2×25000-वोल्ट की पावर लाइन लगाई गई है।
- कर्व्स: पश्चिम रेलवे पर 134 मोड़ों को सीधा कर दिया गया है।
- पटरी: 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार के लिए 60 किलो 90 यूटीएस वाली पटरियों की जरूरत होती है, जबकि पहले 52 किलो 90 यूटीएस की पटरियां लगी थीं। मुंबई-दिल्ली रूट पर नई पटरियां लगाई जा चुकी हैं।
- गिट्टियों का कुशन: पटरियों के नीचे पत्थर की गिट्टियों का कुशन 250 मिमी से बढ़ाकर 300 मिमी कर दिया गया है।
इन सब कामों से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाई जाएगी।
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के बारे में और जाने ….https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/mumbai/development/vande-bharat-sleeper-train-mumbai-to-delhi-route-ticket-price-coach-all-details/articleshow/113046410.cms?trc_source=TaboolaExploreMore#google_vignette
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